वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 26 फ़रवरी। नए सप्ताह का प्रारंभ आज 26 फरवरी को रविवार से हो रहा है। इस सप्ताह में फरवरी माह का समापन हो रहा है तो मार्च माह का प्रारंभ भी हो रहा है। इस सप्ताह में होलाष्टक शुरू होने वाला है। इसमें लड्डू होली, लट्ठमार होली, आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी, शनि प्रदोष जैसे व्रत और त्योहार आने वाले हैं। होलाष्टक में कोई भी शुभ काम नहीं होगा। इस साल होलाष्टक 9 दिनों का है। आइये जानते हैं 26 फरवरी से 4 मार्च 2023 तक के व्रत त्योहार –
27 फरवरी, दिन: सोमवार: होलाष्टक प्रारंभ, बरसाना लड्डू होली, नंदगांव में फाग आमंत्रण
होलाष्टक 2023: इस साल होलाष्टक का प्रारंभ 27 फरवरी से हो रहा है. इसका समापन 07 मार्च को होलिका दहन के दिन होगा। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक है। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। केतु को छोड़कर सभी ग्रह होलाष्टक में उग्र होते हैं, इसलिए नवग्रह की शांति करानी चाहिए।
लड्डू होली 2023: फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को लड्डू होली खेली जाती है। बरसाना के लाडली जी के मंदिर में दोपहर बाद लड्डू होली खेली जाती है। यहां पर फाग खेलने के निमंत्रण को स्वीकार किए जाने की खुशी में लड्डू होली मनाई जाती है, इस दिन सैकड़ों किलो लड्डू लुटा दिए जाते हैं।
28 फरवरी, दिन: मंगलवार: बरसाना लट्ठमार होली
लट्ठमार होली 2023: बरसाना की प्रसिद्ध लट्ठमार होली 28 फरवरी को है। इस दिन बरसाना में नंदगांव के हुरयारे होली खेलने आएंगे, जहां पर गोपियां रंग गुलाल और लट्ठ से उनका स्वागत करेंगी, लट्ठमार होली होलाष्टक के अगले दिन खेली जाती है।
01 मार्च, दिन: बुधवार: नंदगांव लट्ठमार होली
बरसाना की लट्ठमार होली के अलगे दिन यानि फाल्गुन शुक्ल दशमी तिथि को नंदगांव में लट्ठमार होली खेली जाती है।
03 मार्च, शुक्रवार: रंगभरी एकादशी, आमलकी एकादशी या आंवला एकादशी
रंगभरी एकादशी 2023: इस साल रंगभरी एकादशी 03 मार्च को है, इस दिन काशी में बाबा विश्वनाथ की पूजा अर्चना की जाती है और उनको रंग गुलाल लगाया जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ काशी नगर का भ्रमण करते हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव को गुलाल चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।
आमलकी एकादशी 2023: इस साल आमलकी एकादशी भी 03 मार्च को है। इस दिन आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाते हैं और उसके ही प्रसाद में खाते हैं। आमलकी एकादशी व्रत से मोक्ष और स्वर्ग प्राप्त होता है।
04 मार्च, शनिवार: शनि प्रदोष व्रत
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 04 मार्च को है। यह शनि प्रदोष व्रत है। शनि प्रदोष व्रत रखने और शिव जी की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है। यह व्रत पुत्र के लिए रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखते हैं।
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