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लक्ष्मीबाई : वीरता, स्वदेश प्रेम और आत्म बलिदान की प्रतीक

अजय कुमार वर्मा/लक्ष्मी पायल सोनी 

स्त्री राष्ट्र की आधार शक्ति है इस दृष्टि से कुशल संगठन कौशल और स्त्री की चिंतनशील वृत्ति का निर्माण किया गया। हिंदू नारी वीर बन शक्ति का प्रतीक बने जिसका उदाहरण मणिकर्णिका अर्थात झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के तौर पर नारियों के बीच आदर्श है। क्योंकि महिलाएं समाज और परिवार को सकारात्मक विचार, अच्छे संस्कार और राष्ट्रभक्त नागरिक दे सकती हैं। नारी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता व शक्ति होती है जो सुप्त हो चुके समाज में चेतना जागृत कर सकती है।
प्रथम स्वाधीनता संग्राम की महान वीरांगना, भारतीय तेजस्विता एवं स्वाभिमान की प्रतीक, अद्भुत पराक्रमी, कुशल संगठनकर्ता, नारी शक्ति की अप्रतिम उदाहरण झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ही है जो अतीत से लेकर वर्तमान व भविष्य में प्रत्येक नारी शक्तियों के लिए आदर्श रही है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने अद्भुत शौर्य और पराक्रम से अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाकर भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखा इसी कारण से राष्ट्र सेविका समिति उनके बलिदान व वीर गाथाओं से नारी शक्ति को राष्ट्र निर्माण के लिए पुनः जागृत रहने व निरंतर देश सेवा के लिए समर्पित रहने का आवाहन करती है। महारानी लक्ष्मीबाई की वीर गाथाओं को सुनकर ही भारतवर्ष में देशभक्ति की भावना जाग उठती है। सच्चा वीर कभी आपत्तियों से नहीं घबराता है, प्रलोभन उसे कर्तव्य पथ से विमुख नहीं कर सकता, उनका लक्ष्य उदार और उच्च होता है, उनका चरित्र अनुकरणीय होता है,अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह सदैव आत्म विश्वासी, कर्तव्य परायण, स्वाभिमानी और धर्म निष्ठ होता है। ऐसी ही थी हमारी वीरांगना लक्ष्मीबाई और यही स्वप्न लक्ष्मीबाई केलकर ने समाज की समस्त नारी शक्तियों के लिए विचार कर समिति की नींव रखी। लक्ष्मीबाई केलकर उर्फ मौसी जी जानती थी कि राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचा पाने में एक नारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।झांसी की रानी के जीवन से हम प्रेरणा ले सकते हैं। लक्ष्मी बाई के चरित्र से हमें वीरता, स्वदेश प्रेम और आत्म बलिदान की प्रेरणा मिलती है। झांसी की रानी ने अपने शौर्य, तेज और देशभक्ति से समूचे विश्व को वीरता का मार्ग दिखाया। रत्नगर्भा भारत-वसुंधरा ने अनेक नारी रत्नों को समय-समय पर इस धरती पर प्रादुर्भूत किया जिन्होंने देश की राष्ट्रीय जीवनधारा को अपने त्याग, कर्तव्य और शौर्य से सिंचित किया है।
समिति का मानना है कि युवतियों व महिलाओं को अपने जीवन का आदर्श उन महिलाओं में खोजना चाहिए जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना बलिदान दिया है। अपने देश की महिलाओं में समाज को नेतृत्व देने वाली महिलाओं जैसे गुणों का समयानुकूल प्रत्यक्ष प्रकटीकरण होना चाहिए। इसी कारण से मौसी जी ने ‘खड़ग धारिणी तुम्हें देत मान वंदना’ गीत बालिकाओं से तैयार कराया, रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा के नीचे अंकित कराया तथा यही गीत संपूर्ण देश की सेविकाओं ने जब गया तो उनके मन शौर्य के स्वाभिमान से आपूरित हो गए।

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