वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 14 नवम्बर। भारत सरकार ने 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। यह घोषणा वैश्विक मंच पर भारत की छवि को भी मजबूत करता है।
दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है, जो इसे एक विविध एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला देश बनाती है। इसमें नौजवान आदिवासी भी शामिल हैं। वे शिक्षा, खेल जैसे क्षेत्रों में अपने लिए मिल रहे अवसरों का पूरे समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ लाभ उठा रहे हैं। वे प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार भी जीत रहे हैं और अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना रहे हैं। यद्यपि, नैसर्गिक प्रतिभा से संपन्न होने के बाद भी उपेक्षा के चलते, जनजातीय समुदाय को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा है। देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु हैं। जो अनुसूचित जनजातियों की असाधारण क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण हैं।
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