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ज्ञान जहां से भी आए उसके लिए अपनी दृष्टि को खुला रखें – मुख्यमंत्री

वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 25 जून। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति व मनीषा ने कभी भी ज्ञान एवं इसके विस्तार को अंगीकार करने में कोई अवरोध सामने नहीं आने दिया है। ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ मंत्र के माध्यम से भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि ज्ञान जहां से भी आए उसके लिए अपनी दृष्टि को खुला रखें। यह प्रदर्शित करता है कि भारतीय दृष्टि अपने आप में वैज्ञानिक दृष्टि है।
मुख्यमंत्री आज यहां डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ में आयोजित विज्ञान भारती के 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने ‘स्वतंत्रता आन्दोलन और विज्ञान’ पुस्तक के हिन्दी व मराठी संस्करण तथा विज्ञान भारती के 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन की स्मारिका का विमोचन भी किया।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने अधिवेशन का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया। अधिवेशन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख और विज्ञान भारती के पालक अधिकारी सुनील अम्बेकर, विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव जयन्त सहस्त्रबुद्धे, विज्ञान भारती के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ0 शेखर मंडे एवं निवर्तमान अध्यक्ष डॉ0 विजय भटकर, राष्ट्रीय महासचिव प्रो0 सुधीर भदौरिया, डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्रा सहित देश के विभिन्न प्रदेशों से आए वैज्ञानिक उपस्थित थेे।

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