वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 24 जून। लखनऊ पुलिस द्वारा अमिताभ ठाकुर को 19 व 20 जून 2022 को अपने गोमतीनगर आवास में नज़रबंद किये जाने के संबंध दायर याचिका पर इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश जस्टिस राजन रॉय तथा जस्टिस सैयद वाइज मियां की बेंच ने याची के अधिवक्ता दीपक कुमार व राज्य सरकार के अधिवक्ता को सुन कर दिया।
याचिका में अमिताभ ने कहा कि वे दरोगा भर्ती परीक्षा की तमाम गड़बड़ियों के संबंध में 20 जून को ईको गार्डन, लखनऊ में आयोजित महासत्याग्रह में भाग लेने वाले थे, जिसके संबंध में उन्होंने पुलिस को सूचित भी किया था। पुलिस ने उन्हें वहां जाने से रोकने के लिए 19 जून रात से उनके आवास पर भारी पुलिस बल लगा दिया और उन्हें घर पर नज़रबंद कर दिया। उन्हें 20 जून को सुबह पुलिस द्वारा बताया गया कि उन्हें सीनियर अफसरों के आदेश पर घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह रोक है और यदि वे घर के बाहर कदम रखेंगे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा। पुलिस की कार्यवाही से उत्पन्न तनाव के कारण अमिताभ की तबियत बिगड़ गयी थी तथा उन्हें लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था, लेकिन लखनऊ पुलिस उन्हें वहां घेरे मौजूद रही थी।
अमिताभ ने कहा कि पूर्व में भी 21 से 27 अगस्त 2021 में उन्हें इसी प्रकार अवैध नज़रबंद रखा गया था जिसके बाद उन्हें अचानक अरेस्ट कर लिया गया था. उस मामले में भी अब तक पुलिसवालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
अतः उन्होंने इन दोनों मामलों में उच्चस्तरीय जाँच करा कर कार्यवाही कराये जाने की प्रार्थना की है।
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