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महुआ : औषधीय गुणों से युक्त, आदिवासियों की ज़िंदगी फिर भी आम आदमी के लिए महत्वहीन

वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 9 मई। महुआ का पेड़ आदिवासियों के लिए बहुत महत्व रखता है। आदिवासी लोग न सिर्फ खाने के लिए बल्कि ईंधन के रूप में भी महुआ का उपयोग करते हैं। क्योंकि महुआ खाने में जितना टेस्टी होता है, उतना ही ये सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। महुआ अच्छा तो साल भर की गृहस्थी का काम अच्छा। नहीं तो सभी तरह के खर्चे टालने पड़ते हैं। आदिवासियों में जायदाद की तरह बंटते हैं पेड़। इसी से उनके मांगलिक आयोजन तय होते हैं और सालभर के लिए गृहस्थी का बजट भी तैयार होता है। आज भी आदिवासियों के बीच महुआ के हरे पेड़ काटना सामाजिक अपराध की श्रेणी में है। कुसमी आदिवासी ब्लॉक से लगे छत्तीसगढ़ के जनकपुर में बड़ी महुआ मंडी है। मध्यप्रदेश वन विकास निगम के आंकड़ों के मुताबिक महुआ के फूल और फल का उत्पादन 54 हजार टन से अधिक का है। यहाँ महुआ का कारोबार 300 करोड़ से अधिक का है।
औषधीय गुणों युक्त :
महुआ के पेड़ पर 25 साल में इसपर फ़ूल आते है, यही एक विश्व का इकलौता पुष्प है जो हड्डियों के अंदर मांस के गुदे का निर्माण करता है जिसे अंग्रेजी में बॉन मेरो कहते है। गांवो में महुआ का ठोकवा बनता है।महुआ की छाल का इस्तेमाल क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, डायबिटीज मेलिटस और ब्लीडिंग में किया जाता है। गठिया और बवासीर की दवाई के रूप में महुआ की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी जड़ सूजन, दस्त और बुखार में बहुत असरकारक होती है। खास बात ये हैं महुआ बहुत लंबे समय तक सुखा कर स्टोर किया जा सकता है. एक बार जब ये सूख जाता है तो सालों तक इसका प्रयोग किया जा सकता है. इसलिए सरकार से निवेदन है इसके कटने पर रोक लगाए।
महुआ में क्या पाया जाता है :
महुआ में कार्बोहाइड्रेट, फैट, और प्रोटीन के साथ ही कैल्शियम, फास्फोरस आयरन, कैरोटीन और विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इतने पोषक तत्वों से भरे होने के कारण इसे खाने के बहुत से फायदे होते हैं।
गठिया में पीएं छाल का रस और करें तेल की मलिश :
बहुत लोग गठिया की बीमारी की वजह से परेशान रहते हैं। न अच्छे से चल पाते हैं और न ही कोई काम कर पाते हैं। ऐसे में महुआ की छाल गठिया के इलाज में बहुत कारगर है। महुआ की छाल को आप उबाल कर उसका जूस पींए। ये गठिया के दर्द को ही नहीं बल्कि अंदर आ गई सूजन और जकड़न को भी कम करता है। साथ ही महूआ के फूल, जड़ और छाल के साथ बीजों को पीस कर सरसों के तेल में पका लें और इसकी मालिश जोड़ों पर करें, इससे जल्द ही आराम मिल सकता है।
दांत दर्द होगा गायब :
अगर आपको दांतों में दर्द है या फिर टॉन्सिलिटिस की समस्या है तो आप महुआ की छाल का इस्तेमाल कर सकते हैं. आपको पहले महुआ की छाल को पीसना होगा, फिर उमसें पानी मिला लें. इस पानी से आप कुल्ला करें और रस को दांतों और मसूड़ों पर लगा लें. इससे आपको काफी आराम मिलेगा।
जुकाम की समस्या से निजात :
महुआ का सेवन करने से जुकाम और कफ की समस्या से राहत मिलती है. जिन लोगों को ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों में कफ जमने की दिक्कत हो वह महुआ की छाल का काढ़ा जरूर पीएं. साथ ही महुए को किसी न किसी रूप में आहार में शामिल करें. ऐसा करने पर इस तरह की समस्याओं से जल्द ही निजात पा सकते हैं।
पेट के कीड़े मारने में मददगार :
महुआ का सेवन पेट के कीड़ों को मारने में मददगार होता है. बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें महुए की छाल का काढ़ा दें और महुए की रोटी खिलाएं तो कीड़े मर जाते हैं. इसके अलावा दस्त या अपच होने पर मुहआ की छाल का रस पीएं, इससे आराम मिलता है।
डायबिटीज में होता है ‘अमृत’ :
डायबिटीज मरीजों के लिए महुआ अमृत से कम नहीं है। डायबिटीज बीमारी के खिलाफ महुए की छाल अमृत की तरह काम करती है. हालांकि महुआ के फूल का प्रयोग डायबिटीज रोगियों को नहीं करना चाहिए।

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