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शिवपाल के सहारे यादवगढ़ पर भाजपा की नजर

वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 5 मार्च। भारतीय जनता पार्टी अखिलेश और शिवपाल के बीच उठे विवाद को भुनाने के पूरे मूड में दिख रही है। कारण की जमीनी राजनीति करने और सत्ताधारी रहने के बाजवूद शिवपाल लगातार फ्लॉप रहे है, और अब वो इस विवाद के बाद अपनी राह बदलने जा रहे हैं। कभी मुलायम सिंह के दाहिने हाथ बनकर यूपी में सपा को मजबूत करने वाले शिवपाल भतीजे अखिलेश से आहत होकर भाजपा में जाने की तयारी में है।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा में शामिल होने के बाद शिवपाल यादव को राज्यसभा भेजा जा सकता है तो भाजपा उनके बेटे आदित्य यादव को उनकी सीट जसवंतनगर से उतारकर विधानसभा भेजने की कोशिश करेगी। यदि प्लान सफल होता है तो शिवपाल को जहां केंद्र की राजनीति में जगह मिलेगी तो प्रदेश में उनके बेटे को स्थान मिल जाएगा, जिसकी उन्हें लंबे समय से तलाश है।
लेकिन शिवपाल के आने से भगवा दल को क्या फायदा होगा?
भाजपा शिवपाल को अपने पाले में लाकर यादव बेल्ट में सेंध लगाने की कोशिश करना चाहती है। इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद जैसे जिले सपा के गढ़ माने जाते हैं। यादव बेल्ट पर शिवपाल यादव की भी पकड़ बेहद मजबूत है। उन्होंने दशकों तक इन इलाकों में गांव-गांव घूमकर काम किया है। शिवपाल यादव का यहां के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध बताया जाता है। 2024 के चुनाव से पहले भाजपा यादव बेल्ट में अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है।
अपर्णा के बाद शिवपाल को अखिलेश परिवार में अलग-थलग करने की कोशिश
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपर्णा यादव को अपने पाले में लाने वाली भाजपा अब शिवपाल को तोड़कर अखिलेश को परिवार में ही अलग-थलग साबित करने की कोशिश होगी। भाजपा ने विधानसभा चुनाव की रैलियों में कहा था कि अखिलेश पिता और चाचा का सम्मान नहीं करते हैं, जो बाप-चाचा का नहीं हुआ वह यूपी की जनता का क्या होगा?

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