वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 28 फरवरी। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का अलग ही महत्व है। इस दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त विशेष उपाय और पूजा करते हैं। इस बार महाशिवरात्रि का ये पावन पर्व 1 मार्च 2022 को है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसे हर साल महाशिवरात्रि के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से उनकी आराधना करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर शिवजी को प्रसन्न करने और हर मनोकामना को पूरा करने के लिए पूजा विधि के बारे में…………………….
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि पर पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं। साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।
बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है। इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं और सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें।
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3:16 से 2 मार्च को सुबह 10:00 बजे तक रहेगी। वहीं पूजा-अर्चना के लिए पहला मुहूर्त सुबह 11:47 से 12:34 तक और शाम 6:21 से रात्रि 9:27 तक है। इन मुहूर्त के अनपरूप आप कभी भी भगवान शिव की उपासना कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत विधि
शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ इस भगवान शंकर के आगे व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिये भगवान शिव का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी तभी संकल्प लें।
मन के विकार दूर करने के लिए
शिवजी को बेलपत्र के बाद दूसरा सबसे प्रिय लगने वाला पत्ता भांग का है। शिवलिंग पर भांग चढ़ाने से हमारे मन के विकार और बुराइयां दूर होती हैं। भांग एक औषधि है,मान्यता हैं कि जब शिव जी ने विष का पान किया था तब जहर का जहर से उपचार करने के लिए भांग के पत्ते देवताओं ने शिवजी पर चढ़ाए थे।
शनिदोष से मुक्ति
आमतौर पर शमी के पत्ते शनिदेव को ही चढ़ाए जाते हैं,लेकिन ये पत्ते शिवलिंग पर भी चढ़ाए जाते हैं। रोज सुबह शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं और इसके बाद बिल्व के साथ ही शमी के पत्ते भी जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से भोलेनाथ के साथ-साथ शनिदेव की कृपा भी बनी रहेगी।
धनलाभ के लिए
भगवान शिव को आम के पत्ते अर्पित करने से वे अपने भक्तों का दुर्भाग्य दूर करते हैं,साथ ही धन-लाभ की संभावनाएं बनती हैं। जीवन में सुख-सौभाग्य आता है।
मन के विकार होंगे दूर
धतूरे का फल और पत्ता औषधि के रूप में भी काम आता है। शिव पुराण में वर्णित है कि शिवजी को धतूरा बहुत प्रिय है। ये पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्त के सभी बुरे विचार नष्ट होते हैं और सोच सकारात्मक बनती है।
ग्रहदोष निवारण
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि पीपल पर त्रिदेवों का वास होता है। पीपल के पत्तों पर भगवान शिव का वास है। भगवान शिव को पीपल के पत्ते अर्पित करने से ग्रहों के दोष दूर होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
कष्ट होंगे दूर
आक का फूल और पत्ता दोनों ही भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है। मान्यता है कि जो भक्त भगवान शिव को आक के पुष्प और पत्ते अर्पित करते हैं भगवान शिव उसके दैहिक,दैविक और भौतिक सभी तरह के कष्ट हर लेते हैं।
